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स्व॒ध्व॒रा क॑रति जा॒तवे॑दा॒ यक्ष॑द्दे॒वाँ अ॒मृता॑न्पि॒प्रय॑च्च ॥४॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

svadhvarā karati jātavedā yakṣad devām̐ amṛtān piprayac ca ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सु॒ऽअ॒ध्व॒रा। क॒र॒ति॒। जा॒तऽवे॑दाः। यक्ष॑त्। दे॒वान्। अ॒मृता॑न्। पि॒प्रय॑त्। च॒ ॥४॥

ऋग्वेद » मण्डल:7» सूक्त:17» मन्त्र:4 | अष्टक:5» अध्याय:2» वर्ग:23» मन्त्र:4 | मण्डल:7» अनुवाक:1» मन्त्र:4


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

कौन अध्यापक श्रेष्ठ हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो (जातवेदाः) विद्या में प्रसिद्ध अध्यापक विद्यार्थियों को (देवान्) विद्वान् और (स्वध्वरा) अच्छे प्रकार अहिंसा स्वभाववाले (करति) करे (अमृतान्) अपने स्वरूप से मृत्युरहितों को (यक्षत्) सङ्गत करे (च) और इनको (पिप्रयत्) तृप्त करे, वह विद्यार्थियों को सेवने योग्य है ॥४॥
भावार्थभाषाः - जिन अध्यापकों के विद्यार्थी शीघ्र विद्वन्, सुशील, धार्मिक होते हैं, वे ही अध्यापक प्रशंसनीय होते हैं ॥४॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

केऽध्यापकाः वराः सन्तीत्याह ॥

अन्वय:

यो जातवेदाः अध्यापको विद्यार्थिनो देवान् स्वध्वरा करत्यमृतान् यक्षदेतान् पिप्रयच्च स विद्यार्थिभिः सेवनीयोऽस्ति ॥४॥

पदार्थान्वयभाषाः - (स्वध्वरा) सुष्ठ्वहिंस्रस्वभावयुक्तान् (करति) कुर्यात् (जातवेदाः) प्रसिद्धविद्यः (यक्षत्) सङ्गच्छेत् (देवान्) विदुषः (अमृतान्) स्वस्वरूपेण मृत्युरहितान् (पिप्रयत्) प्रीणीयात् (च) ॥४॥
भावार्थभाषाः - येषामध्यापकानां विद्यार्थिनः सद्यो विद्वांसः सुशीला धार्मिका जायन्ते त एवाऽध्यापकाः प्रशंसनीयाः सन्ति ॥४॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - ज्या अध्यापकांचे विद्यार्थी शीघ्र विद्वान, सुशील, धार्मिक असतात तेच अध्यापक प्रशंसनीय असतात. ॥ ४ ॥